फतेहपुर : 6 साल की कृष्णा किशोरी इन दिनों राजस्थान के फतेहपुर में नानी बाई के मायरे की कथा सुनाकर लोगों का मन मोह रही हैं। उनकी मासूमियत और कथा का मर्म समझाने का अंदाज लोगों को खूब भा रहा है।

यूकेजी में पढ़ने वाली कृष्णा राधा-कृष्ण को मामा-मामी मानती हैं। नगर सेठ श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर में पहली बार व्यास पीठ पर विराजमान होकर वे कथा का वाचन कर रही हैं। 3 घंटे तक बिना रुके कथा सुनाने वाली कृष्णा, जो भी दान आता है उसे मंदिर में दान कर देती हैं।

पिता महेश व्यास बताते हैं कि कृष्णा 4 भाई-बहनों में सबसे छोटी है। वृंदावन जाने की शौकीन कृष्णा ने जब पहली बार राधा-कृष्ण की मूर्ति देखी तो उन्हें मामा-मामी कहकर पुकारा। तभी से वे उन्हें यही नाम से बुलाती हैं।

दादा बनवारीलाल व्यास जो लेखक और कथावाचक थे, उनकी रिकॉर्डिंग सुनकर कृष्णा ने यह कथा सीखी। कृष्णा के जन्म से 13 साल पहले दादा का निधन हो गया था।

मां विजयश्री बताती हैं कि कृष्णा मोबाइल, कार्टून, सीरियल और फास्ट फूड से दूर रहती हैं। सुबह 5 बजे उठकर सूर्य को अर्घ्य और भगवान को भोग लगाने के बाद ही वह कुछ खाती हैं।

कृष्णा की दिनचर्या सात्विक है और वह अन्य बच्चों से अलग हटकर हैं। स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ वे कथा वाचन का भी अभ्यास करती रहती हैं।

निष्कर्ष: 6 साल की कृष्णा किशोरी अपनी मासूमियत और भक्ति भावना से लोगों को प्रेरित कर रही हैं। उनकी कथा सुनने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं। कृष्णा निश्चित रूप से भविष्य में एक प्रसिद्ध कथावाचक बनेंगी।

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