हरियाणा में SC की लिस्ट से हटेंगे 3 जाति के नाम
हरियाणा राज्य में 12 साल बाद अनुसूचित जाति की लिस्ट में जातियों के नामों की समीक्षा की गई है। इस लिस्ट में तीन नामों को हटाने के लिए विचार करने को कहा गया है। और रिव्यू के बाद हरियाणा सरकार की ओर से एक लेटर केंद्र सरकार को भी भेज दिया गया है। लेटर में जातिगत नामों को आपत्तिजनक बताते हुए, वर्चस्व वादियों की ओर से गाली के रूप में इस्तेमाल किए जाने की बात कही गई है।
इस लिस्ट में जिन दो नामों को हटाने की मांग की गई है वे चुरा और भंगी है, जो अनुसूचित जाति की लिस्ट में क्रम संख्या 2 पर अंकित हैं। जबिक एक नाम मोची को अनुसूचित जाति लिस्ट में 9 नंबर पर रखा गया है।
हरियाणा सरकार के सूत्रों का कहना है कि, ये लेटर इसी महीने लिखा गया है, जिसमें लिखा गया है कि ये नाम न केवल आपत्तिजनक हैं, बल्कि अपनी प्रासंगिकता भी खो चुके हैं।
इसके साथ ही ये भी जानकारी सामने आई है कि, अगस्त 2013 में पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के कार्यकाल के दोरान भी ऐसा ही एक लेटर केंद्र सरकार को लिखा गया था, और ये दावा हरियाणा सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों का कल्याण, और अंत्योदय विभाग ने किया है. हालांकि उस लेटर का क्या हुआ, उसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। अब सरकार के नए लेटर का केंद्र सरकार ने संज्ञान लिया है और उसकी जांच शुरू करने को कहा गया है।
हरियाणा सरकार की ओर से भी कहा गया है कि, ये फैसला आधिकारिक और सार्वजनिक बोलचाल से नामों को हटाने के लिए उठाया गया है। जो हालांकि सामाजिक समूहों से जुड़े पारंपरिक व्यवसायों में निहित है, लेकिन पूर्वाग्रह के सुविधाजनक साधन बन गए हैं।
वहीं, जब इन नामों को नकारात्मक और उपहासपूर्ण अर्थ में पेश किया जाता है, तो ये जातिगत पूर्वाग्रह का हिस्सा बन जाते हैं। सरकार ने ये भी दलील दी है कि, इस तरह के मामलों को निपटाने के लिए की गई शिकायत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के तहत की जाती है। जिसमें दंड के कड़े प्रावधान हैं। लेकिन इस तरह के अनुरोध को पूरा करने के लिए केंद्र को संविधान (SC) आदेश 1950 में संशोधन करना होगा, जैसा कि SC और ST की सूचियों से जातियों को शामिल करने और निकालने के लिए किया जाता है।