Shani Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन विशेष रूप से पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। इस वर्ष चैत्र माह की अमावस्या पर एक महत्वपूर्ण घटना घटित हो रही है, जब सूर्य ग्रहण का योग बन रहा है और शनिदेव भी राशि परिवर्तन करने वाले हैं।
चैत्र अमावस्या पर सूर्य ग्रहण और तर्पण का विशेष महत्व
चैत्र माह की अमावस्या का दिन खास होता है, क्योंकि यह समय होता है जब नए वर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और तर्पण का विशेष महत्व है। हालांकि इस साल, सूर्य ग्रहण 29 मार्च को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान तर्पण करना शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए इस दिन तर्पण और स्नान दान का समय ग्रहण से पहले निर्धारित किया गया है।
चैत्र अमावस्या स्नान-दान और तर्पण का मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान का समय सुबह 4 बजकर 42 मिनट से लेकर 5 बजकर 28 मिनट तक है। यह समय सबसे शुभ और फलदायक माना जाता है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त, जो कि 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा, भी खास होता है। इस समय में स्नान और तर्पण करने से विशेष लाभ मिलता है। सूर्य ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, इसलिए ग्रहण के पहले ही स्नान और तर्पण को पूरा कर लें।
चैत्र अमावस्या पर तर्पण की विधि
चैत्र अमावस्या के दिन तर्पण की विधि सरल है। सबसे पहले, शुद्ध रूप से स्नान कर लें और फिर कुशा घास की सहायता से जल, काले तिल और सफेद फूलों को लेकर पितरों का ध्यान करें। तर्पण करते समय मुख को दक्षिण दिशा में रखें और धीरे-धीरे अंगूठे की सहायता से जल अर्पित करें। साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। इस दौरान श्रद्धा भाव से प्रार्थना करना चाहिए और अपने पितरों को याद करना चाहिए।
चैत्र अमावस्या का महत्व
चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व इस कारण भी है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए तर्पण और पिंड़दान से व्यक्ति के सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। यह दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक होता है, जब हम उन्हें याद कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को खुशहाल बनाते हैं।चैत्र अमावस्या का दिन पितरों के लिए श्रद्धा और तर्पण का विशेष दिन होता है। इस दिन विशेष रूप से स्नान और दान का महत्व है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्य ग्रहण के कारण तर्पण करने का समय निर्धारित किया गया है, जिससे श्रद्धालु इस दिन का सही उपयोग कर सकें। इस दिन का धार्मिक महत्व न केवल पितरों को याद करने का है, बल्कि यह हमें अपने कर्मों को सुधारने और जीवन में शांति बनाए रखने का संदेश भी देता है।
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