किसान नेता डल्लेवाल का इलाज करने से डॉक्टरों ने किया इनकार, डल्लेवाल की सेहत को लेकर हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाईकिसान नेता डल्लेवाल का इलाज करने से डॉक्टरों ने किया इनकार

किसान नेता डल्लेवाल का इलाज करने से डॉक्टरों ने किया इनकार, डल्लेवाल की सेहत को लेकर हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

फसलों पर MSP की गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का इलाज करने से राजिंद्रा अस्पताल के डॉक्टर्स ने मना कर दिया है। डॉक्टर्स ने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने किसानों के रवैये को लेकर एतराज जताया है।

वहीं, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि, बीती रात को डल्लेवाल को ड्रिप देने में चूक हुई । उन्होंने कहा कि, ड्रिप खत्म करने का तय समय होता है। लेकिन बाती रात को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने इसकी रफ्तार तेज कर दी। इससे डल्लेवाल के हाथ में सूजन आ गई। उस समय वहां पर सीनियर डॉक्टर भी मौजूद नहीं थी।

कोहाड़ का दावा है की चिट्ठी के बहाने डॉक्टरों की टीम अपनी गलती छिपाने की कोशिश कर रही है। वहीं, डल्लेवाल की सेहत को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें पंजाब सरकार का पक्ष लेकर पहुंचे एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने बताया कि केस में कई सकारात्मक सुधार हुए हैं

उन्होंने सूचित किया कि केंद्र सरकार ने 18 जनवरी को अपने प्रतिनिधि भेजे थे, और किसानों के साथ वार्ता के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की है। इसके बाद डल्लेवाल और अन्य किसानों ने चिकित्सा सहायता लेना शुरू कर दिया, जिससे उनकी सेहत में सुधार हुआ है।

पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को जानकारी दी कि, डल्लेवाल को प्रदर्शन स्थल के पास बने अस्थायी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया है।
इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि डल्लेवाल अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे और जब तक वह मानसिक रूप से मजबूत हैं, अपने हितों के लिए लड़ सकेंगे

अदालत ने यह भी बताया कि डल्लेवाल 14 फरवरी को प्रस्तावित वार्ता में भाग लेने पर सहमत हुए हैं। कुछ अन्य किसान नेताओं ने भी उपवास तोड़ दिया है और बातचीत फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है। अदालत ने उम्मीद जताई कि सभी पक्षकार राष्ट्रीय हित में मुद्दों को सुलझाने की दिशा में काम करेंगे।

सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत डल्लेवाल की हेल्थ रिपोर्ट को लेकर नाराज हुए। उन्होंने निर्देश दिया कि रिपोर्ट से वह पंक्ति हटा दी जाए जिसमें कहा गया है कि डल्लेवाल “खतरे से बाहर” हैं। इसके बजाय सिर्फ यह लिखा जाए कि उनकी स्थिति में सुधार हुआ है।

अवमानना कार्यवाही को फिलहाल स्थगित रखते हुए अधिकारियों की उपस्थिति की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। मामले की अगली सुनवाई फरवरी के अंत में होगी।

इससे पहले डल्लेवाल ने कहा था कि, “मुझे ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं थी। जो 121 किसान मरणव्रत पर बैठे थे, उनके कारण मैंने दबाव डाला और ट्रीटमेंट लेने के लिए राजी हुआ। मोर्चा हम रोटी से नहीं, अकाल पुरख की मेहर से जीतेंगे। गुरु नानक मेहर करें, शरीर उनका है, उनकी मेहर से ही सब होगा। संगत की भावना है, अगर वे मीटिंग में ले जाएंगे, तो मैं भी मीटिंग में जाऊंगा”।